Arabon ka Sindh Vijay : अरबों का सिंध विजय भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यह घटना केवल राजनीतिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी गहरी छाप छोड़ गई। सातवीं और आठवीं शताब्दी में जब अरब सेनाएँ पश्चिम से आगे बढ़ रही थीं, तब उनका लक्ष्य सिंध क्षेत्र भी बना। उस समय सिंध एक समृद्ध प्रदेश था, जहाँ व्यापार, संस्कृति और शिक्षा का विशेष स्थान था। अरबों का सिंध विजय न केवल सैन्य टकराव था, बल्कि यह दो अलग-अलग सभ्यताओं के बीच प्रथम प्रत्यक्ष संपर्क भी था।
इस विजय के पीछे मुख्य कारण थे—व्यापारिक मार्गों पर अधिकार पाना, राजनीतिक शक्ति का विस्तार करना और इस्लाम के संदेश को फैलाना। मुहम्मद बिन कासिम जैसे सेनापति ने इसमें निर्णायक भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और संगठन क्षमता के कारण अरब सेनाएँ सिंध में प्रवेश करने में सफल हुईं।
सिंध विजय के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में नई राजनीतिक परिस्थितियाँ बनीं। अरबों के आगमन से विज्ञान, गणित और प्रशासनिक पद्धतियों में भी बदलाव दिखाई दिए। यही कारण है कि ‘अरबों का सिंध विजय’ केवल एक युद्ध की कथा नहीं, बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत भी थी। यह घटना आगे चलकर भारत और अरब दुनिया के संबंधों की नींव बनी।
#1. राजा दाहिर किस वंश से संबंधित थे?
व्याख्या: दाहिर सिंध के ब्राह्मण शासक थे, जिनकी राजधानी अरोर थी।
#2. सिंध विजय के समय अरबों के खलीफा कौन थे?
व्याख्या: उस समय उमय्यद वंश का खलीफा वलीद बिन अब्दुल मलिक शासन कर रहा था।
#3. मुहम्मद बिन कासिम किस प्रांत के गवर्नर थे?
व्याख्या: बसर्रा के गवर्नर अल-हज्जाज बिन यूसुफ उनके चाचा थे, जिन्होंने उन्हें सेना के साथ भेजा।
#4. अरबों के सिंध पर आक्रमण का मुख्य कारण क्या था?
व्याख्या: श्रीलंका से अरबों के लिए उपहार ला रहे जहाज को सिंध के समुद्री लुटेरों ने लूट लिया था।
#5. अरबों का सिंध विजय किस वर्ष में हुआ?
व्याख्या: 711 ई. में मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध के शासक दाहिर को पराजित किया और सिंध अरब साम्राज्य में मिला।
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